द गर्ल इन रूम 105
अध्याय 24
'मैं आपको कैंप गेट तक ले जा सकता हूं, लेकिन मुझे आधा किलोमीटर दूर ही गाड़ी पार्क करनी होगी। आर्मी के रूल्स, टैक्सी ड्राइवर ने कहा। श्रीनगर से बारामूला पहुंचने में हमें दो घंटे लग गए थे। हम अपनी किराए की सफ़ेद इनोवा से बारामुला आर्मी कैंप एंट्रेंस पर उतर गए। ओलिव - ग्रीन यूनिफॉर्म और डार्क रे बैन एविएटर्स पहने कैप्टन फैज़ गेट पर खड़े हमारा इंतज़ार कर रहे थे। 'वेलकम, केशव, उन्होंने कहा। वे पहले से ज्यादा कद्दावर लग रहे थे, शायद अपने आर्मी बूटों के कारण।
उनकी कमीज़ की जेब में कई बैज और तमगे लगे हुए थे। हमने हाथ मिलाया, या मुझे कहना चाहिए, उन्होंने अपने हाथों में मेरा हाथ मसल दिया।
'तो यही तुम्हारा वह दोस्त है, जो आर्मी कैंप देखना चाहता था?' फैज ने सौरभ की ओर देखते हुए कहा । मैंने सिर हिलाकर हामी भरी और सौरभ का परिचय कराया। मैंने सफ़दर से फ़ैज़ का नंबर ले लिया था और उन्हें हमारी एक मीटिंग अरेंज कराने को बोला था। मैंने सौरभ के बारे में बताया कि वो इंडियन आर्मी का फैन है, जो कश्मीर में अपनी छुट्टियों के दौरान आर्मी के काम करने के तरीक़ों को देखना चाहता था। फ़ैज़ हमें विजिटर्स लाउंज टेंट में ले गए। यह कैंप एंट्रेंस में कुछ ही कदम दूर था। टेट के भीतर हम बांस की
कुर्सियों पर बैठे, जिन्हें एक कॉफी टेबल के इर्द-गिर्द जमाया गया था। मटमैले फर्श को कश्मीर का एक कालीन ढंके हुए था। " तो यही है हमारा गरीबखाना, यहीं से हम अपने मुल्क की हिफ़ाज़त करने की कोशिश करते हैं, फैज़ ने
कहा। कहा। 'बहुत शुक्रिया। जैसा कि केशव ने आपको बताया होगा कि मैं आर्मी का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं,' सौरभ ने
'यह हमारे लिए सम्मान की बात है, फैज़ ने थोड़ा झुकते हुए कहा। एक जवान किशमिश, बादाम और कहवा लेकर आया। "प्लीज़, यह सब रहने दीजिए, हम पहले ही आपको यहां तंग करने चले आए हैं. मैंने कहा। "ऐसा बिलकुल नहीं है। वैसे भी यहाँ सब कुछ बहुत बोरिंग लगने लगता है। ऐसे में कुछ सिविलियन
विजिटर्स का आना तो अच्छी बात ही है।"
लेकिन मुझे तो इस बातचीत के रुख को जारा की तरफ ले जाना था, इसलिए कहवा पीते-पीते मैंने निहायत बेतकल्लुफ़ी से कह दिया, 'यही वो जगह है ना, जिसके बारे में जारा ने एक ब्लॉग लिखा था?"
"हां, ' फ़ैज़ ने कहा, 'गॉड ब्लेस हर सोल। कितनी ब्राइट और पॉज़िटिव लड़की थी वह।' 'मैं उसका सीनियर था। उसके और मेरे परिवार के बीच दोस्ताना ताल्लुक थे।'
" आप स्कूल में उसके साथ थे ना?" मैंने कहा।
'मैंने आपको जारा के कफन दफन के मौके पर देखा था। हमारी बात तो नहीं हो पाई थी, लेकिन जब ज़ारा के अब्बा से बात करने आया तो आप उन्हीं के पास खड़े थे।"
मैं
"हां, मुझे याद है। वो कितना उदास कर देने वाला दिन था, फ़ैज़ ने कहा। मैंने उनकी आवाज़ में नकलीपन और बनावटीपन पकड़ने की कोशिश की, लेकिन नहीं पकड़ पाया। वैसे भी सनग्लासेस से आंखें टंकी होने के कारण इसका पता लगाना और कठिन हो गया था।
मैंने कहवे का एक और घूंट पिया और अपने दाएं गाल को सहलाया। यह सौरभ के लिए एक सिगनल था कि अब उसे टॉयलेट जाने का बोलकर वहां से निकलना है। आपको पता है कि ज़ारा और मैं रिलेशनशिप में थे?" मैंने सौरभ के जाने के बाद कहा।